बढ़ती उम्र के साथ हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। कभी - कभी खेल कूद में खिलाड़ियों और छोटे बच्चों को भी हड्डी और मांसपेशी में चोट लग जाती है। ऐसे में फिजिशियन किसी ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास जाने की सलाह देता है। ऑर्थोपेडिक के अंतर्गत कई रोगों जैसे आर्थराइटिस, रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर, फ्रैक्चर, हड्डी में इंफेक्शन, एविएन, स्पॉन्डिलाइटिस और कई अन्य प्रकार की समस्याओं का इलाज होता है। पूरे देश में गठिया व अर्थराइटिस के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं, आयुष चिकित्सा पद्धतियों से इन रोगों को ठीक किया जा सकता है, इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु संजीवनी वेलफेयर सोसायटी पूरे देश में ऑर्थो केयर कंट्रोल यूनिट की स्थापन कर रही है । आइये जानते हैं कि ऑर्थोपेडिक क्या होता है, ऑर्थोपेडिक में किन रोगों का उपचार होता है और ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए।
आर्थोपेडिक क्या है ?
ऑर्थोपेडिक मे मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम यानी हड्डी, जोड़ों, मांसपेशियों, लिगामेंट और टेंडन से जुड़ी समस्याओं का उपचार और सर्जरी किया जाता है। ऑर्थोपेडिक डॉक्टर को ऑर्थोपेडिस्ट कहा जाता है जो सर्जरी और उपचार दोनो में विशेषज्ञ हो सकते हैं।
ऑर्थोपेडिक में क्या उपचार होता है ?
ऑर्थोपेडिक डॉक्टर मुख्य रूप से इन चीजों का उपचार करते हैं: हड्डी में चोट या फ्रैक्चर, मांसपेशियों में खिंचाव, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, आर्थराइटि, कार्पल ट्यूनल सिण्ड्रोम, लिगामेंट और टेंडन में चोट, शरीर के अंगों में असमानता और हड्डी का कैंसर
इन सब चीजों के अलावा कुछ डॉक्टर मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम के कुछ विशेष अंगों के विशेषज्ञ होते हैं जैसे रीढ़ की हड्डी, कूल्हे और घुटने, हाथ, कंधे और कोहनी, पैर और एड़ियां, खिलाड़ी को लगने वाली चोट या ट्रॉमा सर्जरी में विशेषज्ञता हासिल होती है।
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